About Survidhya

जिनवाणी चैनल की प्रस्तुति सुर विद्या संगीत मय साधना को समर्पित ऐसा कार्यक्रम है जिसमें भक्ति गीतों के माध्यम से स्वर साधक जहां अपनी भक्ति प्रभु चरणों में समर्पित करेंगे तो वहीं वर्तमान के वर्धमान आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज के गुणगान का सौभाग्य भी उन्हें प्राप्त होगा, धर्म प्रभावना के क्षेत्र में जिनवाणी चैनल इस कार्यक्रम के माध्यम से विश्व  के स्वर साधकों को एक विश्वस्तरीय मंच पर लाकर उनकी भक्ति को एक नई दिशा देना चाहता है


संगीत साधना भारतीय संस्कृति का गौरव है, इस विधा में पारंगत होने के लिए साधक को कठिन परिश्रम करना पड़ता है, प्रभु भक्ति के लिए समर्पित भावों को यदि सुर और लय के साथ प्रस्तुत किया जाए तो साधक की भक्ति की शक्ति के परिणाम सुखद होते है, धर्म प्रभावना के लिए जिनवाणी चैनल द्वारा आयोजित सुर विद्या कार्यक्रम विविधिताओं से भरा हुआ है जिसमें प्रभु भक्ति के साथ गुरू भक्ति के अवसर भी स्वर साधकों को मिलेंगे

धर्म के प्रति निष्ठा और स्वर साधना के प्रति समर्पित कार्यक्रम सुर विद्या एक ऐसा मंच है जहां विश्व  के कोने कोने से आये स्वर साधकों की भावभीनी संगीय मय भक्ति गीतों की प्रस्तुति अद्भुत होगी, जिनवाणी चैनल का यह प्रयास रहेगा कि सुर विद्या का मंच विश्व  और समाज के सामने प्रतिभा सम्पन्न कलाकारों को प्रस्तुत करके उनके जीवन को एक नई दिशा दे

संत समाज का दर्पण होते हैं, अपने आचरण और व्यवहार से समाज को धर्म पथ पर चलने की प्रेरणा देने वाले संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज को समर्पित जिनवाणी चैनल द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम सुर विद्या भक्ति गीतों की सुरमयी प्रस्तुति का ऐसा अनूठा कार्यक्रम होगा जो समाज में छिपी प्रतिभाओं के लिए गुरू के आशीर्वाद का पूरक होगा

 About Jinvani

इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत में इस धरती पर अत्यंत पुरानी व समृद्ध सभ्यता विरासत में पाई और यदि पूछा जाए कि भारत के इस लम्बे और गरिमापूर्ण इतिहास में वैज्ञानिक दृष्टीकोण से धर्म को जन जन तक पहुंचाने वाला व्यक्ति कौन हुआ है, तो आज प्रबुद्ध वर्ग बिना किसी हिचकिचाहट के भगवान महावीर का ही नीम लेगा., भगवान महावीर ने 2600 वर्ष पहले जो कहा, वह आज भी उतना ही नया है जितनी सुबह की ओस की बूंद, आज हिंसात्मक विनाश के जिस मुहाने पर संसार खड़ा है उन परिस्थितियों में सिर्फ अहिंसा का उद्घोष करने वाली भगवान महावीर की वाणी ही विश्व को शांति पथ की ओर अग्रसर कर सकती है,

भगवान महावीर की देशना को किसी भी एक धर्म या जाति से नहीं बांधा जा सकता, उनकी देशना प्राणी मात्र के कल्याण के लिए थी, लेकिन उसे अनेकों दृष्टीकोण से देखा, समझा और कहा गया, जिनवाणी चैनल उसी दृष्टीकोण का व्यापक स्वरूप विश्व के सामने रखने का प्रयास लगातार कर रहा है, जिससे जैन धर्म का मर्म समझने और उसे व्यवहार में लाने का मार्ग प्रशस्त हो सके...

विश्व भर में फैले जैन समाज की विभिन्न धाराओं को एक संगठित स्वरूप देने के लिए जिनवाणी चैनल सेतु की भूमिका का निर्वहन करता आ रहा है, जिससे संतों और मुनियों के दिशा निर्देशन में उनके ही बताये मार्ग पर चल कर जैन समाज की शक्ति का सही उपयोग हो सके, जिनवाणी चैनल के माध्यम से जहां गुरूओं के विचार जैन समाज तक पहुंचते है वहीं जैन धर्म का प्रचार- प्रसार के लिए आयोजित सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों की जानकारी भी लोगों को मिलती है... 

Our Motive

संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के संयम एवं तप जीवन के 50 वर्ष पूरे होने के उपरान्त आचार्यश्री ससंघ के उत्तर प्रदेश में 32 वर्ष बाद आगमन पर जहां पूरे भारत वर्ष ने आचार्य श्री गुरूवर की तप एवं साधना को भक्ति भाव से ओत प्रोत होकर विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों के माध्यम से नमन किया तो वहीं इसी श्रृंखला में जिनवाणी चैनल भी एक विश्व स्तरीय भजन गायन प्रतियोगिता सुर विद्या के माध्यम से आचार्यश्री विद्या सागर जी महाराज के श्री चरणों में भक्ति की अभिव्यक्ति कर रहा है